1.सामान्य जानकारी

अवतार नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र नशा छुड़ाने हेतु सफल प्रयास लगातार कर रहा है , हमारी संस्था में नशे में लिप्त मरीजों को लाने हेतु पिकअप सुविधा उपलब्ध है और उन्हें नशे से दूर एक सम्मानित जीवन जी सके और साथ ही योगा मेडीटेसन भी कराया जाता है ताकि एक सकारात्मकता आ सके जीवन व विचारो में /  युवा वर्ग में नशे की सही जानकारी न होने के कारण वे नशे का शिकार हो जाते है , जिससे बचाने के लिए युवा वर्ग को नशे कि सही जानकारी (नशे से दूर कैसे रहें) दि जाती है  व् समय समय पर स्कूल कालेजों व् गांवो में शिविर व आवेरनेश प्रोग्रामे भी चलाया जाता है  जिससे लोगो में नशा न करने हेतु जागरूकता आये और हमारी युवा पीढ़ी व जन सामान्य नशे से दूर रहें |

 अवतार नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में मानोचित्सक,मनोवैज्ञानिक,परामर्शदाता सुरक्षाकर्मी , नर्सिंग  स्टाफ  व् कुछ की एक कुशल टीम है जो पुरे समय मिलकर कार्य करती है |

२ नशा क्या है ?

मादक द्रव्य के उपयोग से व्यहार में होने वाले विकार को नशा कहते है  यह एक मानसिक रोग है जो की व्यक्ति के व्यहार को परिवर्तित करने का मुख्य कारण है , नाशे की लत किसी के शारीर को होने वाली ऐसी जरुरत है  जिस पर नियंत्रण रखना व्यक्ति के बस के बाहर हो जाता है नशा करना उसके शारीर और दिमाग की जरुरत बन जाती है  यह जानते हुए भी की यह चीज उसके शारीर को भयंकर नुकसान पहुंचा रही है  नशा करने वाले इसकी आदत नहीं छोड़ पाते , और सबसे जायदा ध्यान देने की बात है यह है की हर केस में नशा करने वाले व्यक्ति में अलग अलग लक्षण नजर आते है

Nasha Mukti kendra in bhilai
Nasha Mukti Kendra Rajnandgaon
Mukti Kendra in Bilaspur

1. मादक द्रव्यों के सेवन करने की प्रबल इच्छा या तलब का होना

२. सहनशक्ति अर्थात नशे के लिए मादक द्रव्यों के मात्रा में बढहोत्री यानि एक निश्चित मात्रा का कुछ दिनों तक लगातार सेवन के बाद पहले जैसे नशे का अनुकलन करने के लिए और अधिक मात्रा का सेवन करना

३. विड्राल सिस्टम उत्पन्न होना, अर्थात मादक द्रव्यों का सेवन बंद करने पर विभिन्न प्रकार      के कास्टदायक शारीरिक व् मानसिक लक्षण का उत्पन्नं होना  , जैसे हाथ पैर व शारीरक परेशानीयां, शारीर  में कम्पन , अनियमित रक्तचाप , अनिद्रा , चिडचिडापन , गुस्सा ,बेचैनी , हाथ पैर व शारीर में दर्द व भारीपन , भूख ना लगना मितली उलटी आदि

४. लम्बे समय तक अधिक मात्रा में इनका सेवन करना तथा सुबह उठते ही सेवन शुरू करना

५. खीचकर कार्यो या गतिविधियों से विमुख होना और अधिक समय नशीले पदार्थ केजुगद में बिताना या नशे के जुगाड़ में रहना

६. शारीरक व मानसिक दुष्प्रभावो के बावजूद सेवन जारी रखना या कोशिश करने के बावजूद सेवन बंद नहीं करना

७. सामाजिक शारीरक व मानसिक दुष्प्रभाव के बावजूद सेवन बंद नहीं कर पाना

८. सामाजिक वव्यसिक व पारिवारिक जीवन  पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ना

९. घर परिवार के कार्य को महत्व न देकर नशे को अधिक महत्व देना. 

4 व्यसनी की समस्या

 एक व्यसनी व्यक्ति जो होता है वह सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक संवेदी होता है अर्थात उस व्यक्ति में आम व्यक्ति  की तुलना में जो संवेदनाय होती है वह अधिक अस्त व्यस्त होती है वह अपने व्याहारो पर नियंत्रण करना चाहता है परन्तु कर नहीं पाता , कारण यह है की वह अपनी छमताओ व भावनाओ को सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाता व जहां जो व्यहार प्रदर्शित करना होता है वैसा न कर खाली चुप रह जाता है या अत्यधिक बोल जाता है

 बहुत बार यह भी देखा गया है की व्यसनी व्यक्ति अपनी बातोँ को कहने या सुनाने के लिए नशे का सहारा लेता है | अर्थात वो बिना नशे के अपनी भावनाओ व बातों को व्यक्त नहीं  कर पाते | और लोगो को लगता है की नशे में बकवास कर रहा है | परन्तु  हर बार यह नहीं होता , कोई व्यक्ति यह नहीं चाहता की लोग उसे नशेडी बेवड़ा  या शराबी कहे | परिवार में उसकी इज्जत ना करे ये व्यक्ति स्वयं से प्रताड़ित होते है ये व्यक्ति मानसिक रुप से बीमार होते है | ये वे व्यक्ति होते है जिनमे सामाजिकता की कमी होती है इन व्यक्तियों को अवश्यकता है सही व्यहार , स्नेह , व मार्गदर्शन कि दवाओ की नियमित दिनचर्या की प्रोत्साहन की , योग,ध्यान, व सात्विकता की इन्ही के माध्यम से इनके व्यहार व् जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है |

 इन लोग अक्सर यह सोचते है की यह शराब या अन्य नशे की आदत कैसे लग जाती है और हम इससे कैसे पीछा छुट सकता है , क्योकि शराब की वजह से हम समाज में अपना स्थान खो देते है ,और घर वालो को परेशान करना और खुद की कई मानसिक  और शारीरक  परेशानियों का सामना करते है | कुछ लोग  शराब को एक शौक की तरह शुरू करते है और कुछ किसी प्रॉब्लम में या किसी मानसिक या भ्व्नात्मक्त (इमोसन) प्रॉब्लम में शराब को शुरू करते है व् अंत में शराब व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन अस्त व्यस्त कर देती है जिससे व्यक्ति सब कुछ खो देता है | यही व्यसनी की सबसे बड़ी समस्या है |

 5. ड्रग्स का नशा

सभी नाशो में यह सबसे गन्दा व घातक नशा है  ये दवाएं शारीर पर और मस्तिस्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है विभिन्न प्रकार की दवाओ का निर्माण किया गया है ये सभी नशे की लत को छोड़ना कठिन होता है ,नशा एक गंभीर समस्या है नशे के आदि होना आसान  है लिकिन इस  लत से छुटकारा पाना बेहद मुश्किल है | नशीली दवाओ की लत के कारण होने वाले स्वास्थ के मुद्दे एक व्यक्ति द्वारा ड्रग्स लेने के बाद भी जारी रह सकते है | इसे छोड़ने हेतु विशेष प्रयास की व दवाओं के साथ एक  नियमित दिनचर्या योग अभ्यास की अवश्याकता होती है 

6. व्यसन हेतु चिकित्सा पद्धति

१. काउंसलिंग (परामर्श)

यह भगोवैज्ञानिक मनोचिकित्सा का एक महत्वपूर्ण अंग है जिससे मरीज का मनोवैज्ञानिक परिक्षण कर विभिन्न प्रकार से उनकी काउंसलिंग की जाती है जिससे इंडिविजुअल काउंसलिंग ,ग्रुप काउंसलिंग , फॅमिली  काउंसलिंग  , चाइल्ड काउंसलिंग , पर्सनल काउंसलिंग इत्यादि |

२. सायको थेरिपी

संस्था में सायको थेरिपी विभिन्न आधुनिक उपकरणों द्वारा डी जाती है जिसके अंतर्गत कंगेतिव बिहेविरल थेरिपी , बिहेविरल मडिकेशन , मेडिटेशन थेरिपी ,रेकी , 12  स्टेप थेरेपी इत्यादि द्वारा मानसिक तौर पर मरीज को स्थिर रखा जाता है |

३. सायकेट्रिक चिकित्सा

अनुभवी मनोचिकित्सकों द्वारा रोंगों को परिक्षण कर एलोपथिक होम्योपथिक एक आयुर्वेदिक दवाइयों के माध्यम से चिकित्सा की जाती है | संस्था में यह समस्त चिकित्सा पद्धतियाँ मरीज को एक जगह ही उप्लब्ध कराई जाती है |

४. मनोचिकित्सा

किसी मनोचिकित्सा द्वारा किसी मानसिक रोगी के साथ सम्बन्ध करके बातचीत और सलाह मनोचिकित्सा कहलाती है | यह दोनों के व्यवहार सम्बन्धी विविध समस्याओं  में बहुत उपयोगी होती है मनोचिकित्सा कई तरह की तकनिकी प्रयोग करते है | जैसे प्रायोगिक सम्बन्धी निर्माण सवांद संचार तथा व्यवहार परिवर्तन आदि इनसे रोगी का मानसिक स्वास्थ और सामूहिक समबन्ध सुधारते है |

५. मनोचिकित्सकीय उपचार

नशा पीड़ित व्यक्ति सम्बे समय से नशा करने के फलस्वरूप अपनी मानसिक संतुलन खो चूका होता है अतः विभिन्न मानसिक विकृतिया उत्पन्न हो जाती है इन मानसिक विकारो का अवलोकन कर मनोवैज्ञानिक दवरा मनोवैज्ञानिक परिक्षण करने के पश्चात् नशा पीड़ित और मनोरोगियो का उपयुक्त उपचार विभिन्न आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के माध्यम से किया जाता है |

७. रेकी या स्पर्श चिकित्सा

रेकी या स्पर्श चिकिसा यह योग व ध्यान के द्वरा दि जाने वाली वह चिकिसा पद्धत्ति है , जिससे व्यक्ति में धनात्मक उर्जा का प्रवाह ध्यान द्वारा किया जाता है , व व्यक्ति की नकारात्मकता उर्जा को रेकी मास्टर द्वारा स्वयं में लेकर धरती में स्थानातरित कर दिया जाता है | इस चिकित्सा में व्यक्ति को जीवन में सही मार्गदर्शन व प्रथम व द्वतीय स्टेज की बीमारी को ठीक किया जाता है |

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